जालंधर ब्रीज: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा किसानों को नहरी पानी मुहैया करवाने के निर्देशों के बाद राज्य के किसानों को दशकों बाद नहरी पानी मिला। किसानी की नयी पीढ़ी ने अपने जीवन में पहली बार कुदरत की देन नहरी पानी से अपने खेतों को सींचते देखा। यह बात जल स्रोत मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने आज यहाँ पंजाब भवन में प्रैस कान्फ़्रेंस के दौरान कही।
मीत हेयर ने नहरी पानी के ऐतिहासिक काम के लिए अपने विभाग के समूह अधिकारियों और कर्मचारियों की पीठ थपथपाते हुये कहा कि राज्य की किसानी और भूजल को बचाने के लिए नहरी पानी का नैटवर्क मज़बूत करना समय की मुख्य ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि किसानों को जहाँ पहली बार नहरी पानी मिल रहा है वहीं नरमा काश्तकारों की माँग पर समय से पहले उनको नहरी पानी पहुँचता किया गया।
मीत हेयर ने आगे बताया कि पिछले कई दशकों से नहरी पानी न मिलने के कारण राज्य में बंद किये सिंचाई वाले 15741 नहरी खालों में से 13471 खालों को जल स्रोत विभाग ने पिछले ढाई महीनों के दौरान बहाल किया। अब पंजाब में कुल 47000 खालों में से सिर्फ़ 2270 खालों को बहाल करना रहता है जिन पर भी काम जंगी स्तर पर जारी है। उन्होंने कहा कि पिछले लम्बे अरसे से नहरी पानी न मिलने कारण लोगों की तरफ से यह खाले बंद करके साफ कर दिए गए थे। खालों को बहाल करने के लिए सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करके इनको भाईचारक खालों की जगह सरकारी रुतबा दिया गया। इसके इलावा 25 साल बाद ही खालों की मुरम्मत करने की शर्त ख़त्म की गई।
जल स्रोत मंत्री ने कहा कि विभाग की तरफ से मगनरेगा के द्वारा 200 करोड़ रुपए की लागत के साथ इन बंद पड़े खालों को बहाल किया गया। इसी तरह अनुप्रयुक्त फंडों का प्रयोग किया गया। पंजाब में 20 प्रतिशत से अधिक नहरें अपनी क्षमता से अधिक चल रही हैं जिस कारण टेलों पर भी अपेक्षित पानी पहुँच रहा है। भाखड़ा मैन लाईन, बिसत दोआब नहर और अपरबारी दोआब नहर की क्षमता में विस्तार किया। उन्होंने कहा कि किसानों को नहरी पानी पहुँचता करने के लिए विभाग के पटवारी से लेकर ऐक्सियन तक खालों का निरंतर निरीक्षण कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल तक पंजाब में नहरी पानी के साथ सिर्फ़ 21 प्रतिशत सिंचाई की जाती थी जब कि बाकी 79 प्रतिशत भूजल के साथ सिंचाई की जाती है। नयी पहल से नहरी पानी के साथ सिंचाई के क्षेत्रफल में बढ़िया विस्तार होगा।
मीत हेयर ने आगे बताया कि विभाग की तरफ से एक और बड़ा कदम उठाते हुये लम्बे समय से लटकते आ रहे नहरी पानी के झगड़ों के मामले तेज़ी से हल किये गए। एक साल में झगड़ों के 4700 केस नये आए जबकि विभाग की तरफ से 5016 केस हल किये गए हैं जिनमें बैकलाग भी दूर किया गया। अब सिर्फ़ 1563 केस पैंडिंग हैं जिनको भी जल्द हल किया जायेगा।
मॉनसून सीजन में बाढ़ों के संभावित खतरे से निपटने के लिए किये जा रहे कामों की जानकारी देते हुये मीत हेयर ने बताया कि विभाग की तरफ से सीजन शुरू होने से पहले 89.10 करोड़ रुपए की लागत के साथ 318 बाढ़ रोकथाम काम मुकम्मल किये गए हैं। इनमें जहाँ 39.53 करोड़ रुपए के साथ ड्रेनों की सफ़ाई के 193 काम मुकम्मल किये गए वहीं 46.43 करोड़ के साथ 75 अलग-अलग बाढ़ रोकथाम काम किये गए। इसी तरह विभाग की तरफ से 3.15 करोड़ की लागत के साथ पाँच बड़ी मशीनें खरीदीं गई जो ड्रेनों की सफ़ाई कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इससे विभाग की तरफ से अब सारा साल ड्रेनों की सफ़ाई की जाया करेगी।
इस मौके पर प्रमुख सचिव जल स्रोत कृष्ण कुमार भी उपस्थित थे।
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