
जालंधर ब्रीज: डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस ने कहा कि पंजाब सरकार ने बासमती चावल के निर्यात में रुकावट डालने वाले कुछ कीटनाशकों की बिक्री, भंडारण, वितरण व प्रयोग पर पाबंदी लगाने के निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि यह निर्देश बासमती चावल की गुणवत्ता में सुधार के लिए किसानों के पक्ष में जारी किए गए हैं।
जानकारी देते हुए डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि यह निर्णय इस लिए लिया गया है क्योंकि पाबंदीशुदा कीटनाशकों का प्रयोग बासमती चावल उत्पादकों के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि एसीफोट, बुपरोफोजिन, क्लोरोपाइरीफोस, मैथामाईडोफोस, प्रोपीकोनाजोल थियाममैथोकसम, प्रोफैनोफोस, आईसोप्रोथीओलेन, कारबैंडाजिम, ट्राईसाइकलाजोल जैसे कीटनाशकों की बिक्री, भंडारण, वितरण व प्रयोग चावल खासकर बासमती चावल के निर्यात व खपत में संभावी रुकावटें बन रहे थे। उन्होंने कहा कि उपरोक्त कीटनाशकों पर पंजाब में 60 दिनों की अवधि के लिए पाबंदी लगाई गई है ताकि बिना किसी अवशेषों के बढिय़ा गुणवत्ता वाले बासमती चावल पैदा किए जा सकें। उन्होंने कहा कि माहिरों के अनुसार इन खेती रसायनों का प्रयोग के कारण बासमती चावल में समर्थ अथारिटी द्वारा निर्धारित मैकसीअम रैजीड्यूल लैवल(एम.आर.एल.) से अधिक कीटनाशक अवशेषों का खतरा है।
संदीप हंस ने बताया कि पंजाब राइस मिलरज एंड एक्सपोर्टज एसोसिएशन की ओर से यह भी पाया गया है कि उनकी ओर से टैस्ट किए गए कई नमूनों में इनके अवशेषों का मूल बासमती चावल में एम.आर.एल तह से कहीं अधिक मात्रा में पाया गया है। एसोसिएशन ने पंजाब की विरासती बासमती उपज को बचाने व बासमती चावल की दूसरे देशों को निर्यात यकीनी बनाने के लिए इन खेती रसायनों पर पाबंदी लगाने की प्रार्थना की थी। उन्होंने बताया कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना ने बासमती चावल के कीड़ों को कंट्रोल करने के लिए कम अवशेषों वाले खेती रसायनों की सिफारिश की है जो कि बाजार में उपलब्ध है।
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