‘युद्ध के मैदानों से लेकर बेस्टसेलर तक’ पैनल चर्चा में अभिव्यक्ति 4.0 के दूसरे दिन अनूठे लहजे और स्वरूप की झलक देखने को मिली
जालंधर ब्रीज: आवा साहित्य महोत्सव ‘अभिव्यक्ति 4.0’ का दूसरा दिन शनिवार को मुख्य अतिथि पंजाब के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया के मुख्य भाषण के साथ शुरू हुआ।
चंडीमंदिर स्थित पश्चिमी कमान के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मोहित वाधवा ने वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक और अन्य अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति में कटारिया का स्वागत किया।
राज्यपाल कटारिया ने प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया, जहां आवा द्वारा सहायता प्राप्त कई संगठनों ने अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया है। राज्यपाल के साथ आवा की क्षेत्रीय अध्यक्ष शुचि कटियार भी मौजूद थीं। राज्यपाल ने बाद में अस्त्र-शस्त्रों की प्रदर्शनी का भी निरीक्षण किया।
इस दौरान राज्यपाल ने अपने संबोधन में साहित्य की उस समाहित शक्ति पर गर्व व्यक्त किया जो सीमाओं से परे विभिन्न साहित्यिक आवाज़ों को एक साझा मंच पर लाती है। राज्यपाल ने कहा कि साहित्य भारत के अतीत को वर्तमान से जोड़ता है और भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण भी प्रदान करता है। उन्होंने सेना के अधिकारियों, उनकी पत्नियों और बच्चों को विभिन्न पुस्तकों के रूप में कुछ बहुत ही उच्च गुणवत्ता वाले साहित्य का निर्माण करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि साहित्य भावी पीढ़ियों को क्या दे सकता है, यह इस बात से तय होगा कि हमारे साहित्यकार वर्तमान में किस तरह के लेखन, कहानी, पत्रकारिता, कविता आदि लिख रहे हैं।
‘अभिव्यक्ति 4.0’ के मुख्य स्थल पर ‘युद्ध के मैदानों से लेकर बेस्टसेलर तक’ विषय पर एक विचारोत्तेजक पैनल चर्चा हुई, जिसने दर्शकों का ध्यानाकर्षण किया । पैनल में लेफ्टिनेंट जनरल भोपिंदर सिंह (सेवानिवृत्त), शब्बीर बॉक्सवाला, शिव अरूर, राहुल सिंह और कैप्टन सजीता नायर (सेवानिवृत्त) शामिल थे। इस परिचर्चा का संचालन विवेक अत्रे, आईएएस (सेवानिवृत्त) ने किया, जिसमें उन लेखकों की अनूठी यात्राओं पर चर्चा की गई, जिनके सशस्त्र बलों में अनुभवों ने उनकी साहित्यिक रचनाओं को आकार दिया है, तथा सैन्य और साहित्य की दुनिया को जोड़ा है।
‘वर्दी पर गर्व: सेना के बच्चों की उपलब्धियों का जश्न’ विषय पर पैनल चर्चा सैन्य परिवारों में पले-बढ़े व्यक्तियों की उल्लेखनीय उपलब्धियों को समर्पित थी। इस सत्र में अभिनेत्री पूजा बत्रा, मेजर मोहम्मद अली शाह (सेवानिवृत्त), नवोदित लेखिका आशना लिडर और करुण्या एस बिष्ट शामिल हुए। पैनल में इस बात पर चर्चा की गई कि सेना के माहौल में आत्मसात किए गए मूल्यों ने विभिन्न क्षेत्रों में सेना के बच्चों की व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता में कैसे योगदान दिया। चर्चा का संचालन गनीव चड्ढा पंजरथ ने किया।
हरदीप सिंह चांदपुरी द्वारा संचालित, ‘प्रकाशन पथ: उद्योग में बदलाव’ विषय पर एक पैनल चर्चा में सैन्य पृष्ठभूमि वाली महिला लेखकों के विशेष संदर्भ के साथ प्रकाशन उद्योग में चुनौतियों और अवसरों की बहुलता का विश्लेषण और विचार विमर्श किया गया।
‘अभिव्यक्ति 4.0’ के आयोजन स्थल-2 संबंध लॉन में ‘कहानियों के साथ बड़े होना: बाल साहित्य की शक्ति’ विषय पर एक मनोरंजक पैनल चर्चा हुई। ‘आधुनिक भारत की कविताएँ: आज के कवियों की आवाज़’ पर एक अन्य पैनल चर्चा ने आधुनिक कवियों की विचारों के माध्यम से भारत के स्वरूप को दर्शाया। एक अन्य सत्र में, अनीशा कोटि भास्कर ने ग्राफिक्स और चित्रण के विशेष संदर्भ के साथ दृश्य कथन द्वारा कहानी कहने पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की।
ऑथर्स लाउंज में दर्शकों ने किताबें पढ़ने, हस्ताक्षर करने और उन लेखकों से मिलने का आनंद लिया, जिनकी किताबें आज लॉन्च की गईं। अभिव्यक्ति 4.0 के दूसरे दिन लॉन्च की गई कुछ किताबों में कर्नल डीएस चीमा की ‘सिखों का सैन्य इतिहास’ का विमोचन राज्यपाल द्वारा किया गया। समारोह में तमन्ना कौर चीमा के काव्य संग्रह ‘सेमी:कोलन’ और डॉ. संजना नैयर की पुस्तक ‘रुधिरा’ का विमोचन भी किया गया ।
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