November 14, 2024

Jalandhar Breeze

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फेसलेस असेसमेंट, पारदर्शिता की ओर एक कदम

निखिल साहनी अध्यक्ष भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) उत्तर क्षेत्र

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जालंधर ब्रीज: करदाताओं हेतु एक बेहतर सेवा देने के लिए ‘डिजीटल इण्डिया’ से संबंधित सरकार के विजन के अनुसार करदाताओं की शिकायतें कम करने व कारोबार करना आसान बनाने के बड़े उद्देश्यों की ओर एक ‘महत्त्वपूर्ण कदम’ बढ़ाया गया है। ‘फेसलेस असेसमेंट स्कीम’ के द्वारा आयकर निर्धारण प्रणाली में एक वर्णनीय परिवर्तन होगा क्योंकि इसके अंतर्गत करदाताओं व आयकर अधिकारियों को एक दूसरे के समक्ष होने की आवश्यकता नहीं होगी। भारत विश्व के कुछ ऐसे देशों में से एक है, जिन्होंने ऐसी प्रणाली अपनायी है।

परिवर्तनशील विश्व व्यवस्था के दौरान इस कदम से भारत को एक प्रतियोगी अर्थव्यवस्था बनने में सहायता मिलेगी क्योंकि कारोबार करने की आसानी में और सुधार होगा तथा इसके साथ ही भारतीय उद्योग में आत्म-विश्वास भी भरेगा। इस कदम के द्वारा आम लोगों को स्वेच्छापूर्वक कर अधिनियमों का अनुपालन करने हेतु उत्साहित किया जाएगा, जिससे न केवल कर आधार बढ़ेगा, अपितु इससे करदाता का आत्म-विश्वास भी बढ़ेगा तथा वह निर्भय बनेगा। इस प्रणाली द्वारा पहुंच की समानता के साथ-साथ कानून के क्रियान्वयन में भी समरूपता आएगी तथा मूल्यांकन की प्रक्रिया अधिक कार्यकुशल व करदाता-मित्र बनेगी।

करदाता की कठिनाईयां कम करने से, फ़ेसलैस ई-मूल्यांकन प्रणाली के द्वारा लोगों में स्वयं ही कर अधिनियमों के अनुपालन की भावना विकसित होगी। नई प्रणाली के द्वारा पारदर्शिता व वस्तुनिष्ठता बढ़ने से कर से संबंधित मुकद्दमेबाज़ियां कम होंगी, जो इस समय बड़ी चुनौती बनी हुई हैं। इस स्कीम के अंतर्गत ईमानदार करदाताओं हेतु बिना किसी झंझट व परेशानी के फेसलेस असेसमेंट हो जाया करेगा तथा हर प्रकार के विरोध की समाप्ति हो जाएगी व कर प्रणाली हेतु अत्यंत सुखदायक माहौल तैयार होगा।

इस नई प्रणाली के अंतर्गत, करदाताओं को कर से संबंधित जांच-पड़ताल का कोई पत्र या मूल्यांकन हेतु कोई नोटिस मिलने पर अपने-अपने क्षेत्र के कर अधिकारियों या आयकर विभाग के कार्यालय में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी तथा न ही अधिकारियों के समक्ष बातचीत करने की कोई आवश्यकता होगी। इससे ईमानदार करदाताओं को किसी प्रकार से परेशान करने की हर तरह की संभावना समाप्त हो जाएगी।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान, कर विभाग ने अपनी पहुंच में काफ़ी सुधार किया है तथा अब वह सरकार हेतु आय एकत्र करने वाला संगठन मात्र नहीं रह गया है, अपितु उस ने आम नागरिक पर अपना ध्यान केन्द्रित कर लिया है। सरकार प्रत्येक अधिनियम व नीति को अधिक से अधिक लोक-पक्षीय व जनता-मित्र बनाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहती। फ़ेसलैस ई-मूल्यांकन प्रणाली इस दिशा में एक अन्य कदम है तथा करदाताओं के अनुभव में सुधार लाने हेतु बहुत से कार्य ऑनलाईन करने से संबंधित सरकार के अभियान का एक हिस्सा है।

फेसलेस असेसमेंट प्रणाली के द्वारा प्रौद्योगिकी-मध्यवर्तन से उद्योग व धन सृजन करने वालों के मध्य विश्वास बढ़ाने में सहायता मिलेगी। आयकर विभाग द्वारा विगत कुछ समय के दौरान कुछ और भी ऐसे महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, ताकि करदाता को विभाग के साथ कोई बातचीत करते समय सुविधा हो, जैसे डॉक्यूमैन्ट आईडैंटीफ़िकेशन नंबर (डीआईएन – DIN) के उपयोग, आधार कार्ड के इस्तेमाल से ई-पैन का आबंटन, पैन-आधार अंतर्विनियेमता तथा एक सशक्त ई-फ़ाईलिंग मंच।

सरकार ने अपने इस विचार को दृढ़ किया है कि कर सुधारों का आधार विश्वास, पारदर्शिता व प्रौद्योगिकी होगा। यह प्रणाली अत्यंत उपयुक्त समय पर आई है, जिस में इस प्रक्रिया की डिजीटल प्रकृति ने कोविड-19 महामारी के दौरान भी इस की निरंतरता को सुनिश्चित किया है। इसके सफ़लतापूर्वक क्रियान्वित होने से, भारत अवांछनीय प्रथाओं को रोकने व करदाता नागरिकों को बेहतर सेवाएं मुहैया करवाने हेतु शेष विश्व के लिए प्रौद्योगिकी को उत्साहित करने में एक मिसाल कायम कर सकता है।


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