April 18, 2025

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गुरमीत सिंह खुड्डियाँ द्वारा राज्य भर में डीवॉर्मिंग अभियान का शुभारंभ; दवा वितरण हेतु गठित की गईं 2000 टीमें

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जालंधर ब्रीज:  पंजाब के पशुपालन मंत्री स गुरमीत सिंह खुड्डियाँ ने आज राज्य भर में डीवॉर्मिंग अभियान की शुरुआत की। उल्लेखनीय है कि इस अभियान का शुभारंभ उन्होंने श्री मुक्तसर साहिब जिले के लंबी विधानसभा क्षेत्र से किया।

स खुड्डियाँ ने बताया कि पंजाब सरकार ने 7.78 करोड़ रुपये की लागत से पूरे पशुधन को कृमिरहित करने के लिए डीवॉर्मिंग दवा खरीदी है, जिसे राज्य के किसानों को मुफ्त में वितरित किया जाएगा।

अधिकारियों को इसी सप्ताह के भीतर अभियान को पूरा करने के निर्देश देते हुए उन्होंने बताया कि पशुपालन विभाग ने दवा सीधे किसानों तक पहुंचाने के लिए 2000 से अधिक टीमें गठित की हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग किसी कारणवश दवा प्राप्त नहीं कर सकेंगे, वे बाद में अपने निकटतम पशु चिकित्सा संस्थान से यह दवा मुफ्त में ले सकते हैं।

उन्होंने बताया कि राज्य भर में गायों/भैंसों, बछड़ों/बछियों को कृमिमुक्त करने के लिए यह दवा ए.एस.सी.ए.डी. योजना के अंतर्गत वितरित की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि यह राज्य में दूसरा डीवॉर्मिंग अभियान है, जिससे दूध उत्पादन में सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है और किसानों की आय में वृद्धि होगी। पिछले वर्ष चलाए गए अभियान को पशुपालकों द्वारा भरपूर समर्थन मिला था और उन्होंने इस वर्ष भी इसे दोहराने की मांग की थी।

पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव राहुल भंडारी ने विभाग के सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रत्येक पशुपालक के घर तक समय पर दवा पहुंचाना सुनिश्चित करें, ताकि राज्य के सभी पशुओं को कृमिरहित बनाया जा सके। यह दूध उत्पादन बढ़ाने और पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में सहायक होगा।

पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. जी.एस. बेदी ने बताया कि एफएमडी (मुंह-खुर) के खिलाफ टीकाकरण से पहले पशुओं का डीवॉर्मिंग किया जाना उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और टीकाकरण की प्रभावशीलता को भी बेहतर बनाता है। उन्होंने सभी पशुपालकों से अपील की कि वे इस महीने के मध्य में शुरू हो रहे मुंह-खुर टीकाकरण अभियान से पहले अपने पशुओं को यह दवा अवश्य दिलवाएं, ताकि पशुधन को स्वस्थ बनाया जा सके और राज्य से इस बीमारी का समूल नाश किया जा सके। यह दवा राज्य के सभी सिविल वेटरनरी अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में उपलब्ध है तथा पशुपालक इसे अपने निकटतम पशु चिकित्सा संस्थान से प्राप्त कर सकते हैं।


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