मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की प्रतिबद्धता के अनुसार, गुर्दे की बीमारियों से पीड़ित मरीजों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य संस्थानों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पंजाब के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने आज राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में 8 अत्याधुनिक डायलिसिस केंद्रों का उद्घाटन किया, जो हंस फाउंडेशन देहरादून के सहयोग से स्थापित किए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने माता कौशल्या सरकारी अस्पताल, पटियाला में इस सुविधा का उद्घाटन किया, जबकि साथ ही अन्य सात शहरों अमृतसर, मलेरकोटला, मोगा, गोनियाना, फाजिल्का, फरीदकोट और जालंधर में केंद्रों का उद्घाटन उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया।
गौरतलब है कि 27 फरवरी, 2024 को स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह की उपस्थिति में डायलिसिस प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ. रुपिंदर सिंह गिल और हंस फाउंडेशन की सीनियर मैनेजर सीमा सिंह के बीच समझौता किया गया था। इस समझौते के तहत, फाउंडेशन द्वारा विभाग को प्रशिक्षित चिकित्सा अधिकारी और अन्य स्टाफ, दवाइयां/उपचार सामग्री, डायलिसिस मशीनें और आर.ओ. प्लांट प्रदान किए जाएंगे और इन केंद्रों के कामकाज की निगरानी की जाएगी।
डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में हंस फाउंडेशन के साथ की गई इस महत्वपूर्ण साझेदारी का उद्देश्य राज्य भर में मुफ्त डायलिसिस सुविधाएं प्रदान करना और गुर्दे की बीमारी से संबंधित गुणवत्तापूर्ण देखभाल सेवाओं तक मरीजों की आसान पहुंच सुनिश्चित करना है।
उन्होंने आगे कहा कि ए.बी.एच.ए. आई.डी. का उपयोग करके कोई भी मरीज राज्य भर में किसी भी केंद्र में मुफ्त डायलिसिस सेवा प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि मुफ्त डायलिसिस के अलावा, सभी आवश्यक दवाएं भी मुफ्त दी जाएंगी। उन्होंने आगे कहा कि इस कार्यक्रम के तहत गुर्दे की बीमारियों से पीड़ित मरीजों को चिकित्सा और आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए संपूर्ण सहायता दी गई है।
डॉ. बलबीर सिंह ने कहा, “फिलहाल, डायलिसिस केंद्रों की स्थापना आठ सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में की गई है, जिससे हजारों जरूरतमंद मरीजों को लाभ होगा, जबकि भविष्य में राज्य के सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में इस कार्यक्रम का विस्तार करने की योजना है, ताकि अधिक से अधिक लोगों को आसानी से और गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें।”
उन्होंने कहा कि 872 आम आदमी क्लिनिक की स्थापना से पंजाब में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को बड़ा प्रोत्साहन मिला है, जिससे आने वाले वर्षों में गुर्दे से संबंधित बीमारियों में काफी कमी आएगी। उन्होंने बताया कि अधिकतर गुर्दे फेल होने का कारण उच्च रक्तचाप और शुगर होता है। ये क्लिनिक और मुफ्त दवाइयों की उपलब्धता इन स्थितियों के शुरुआती निदान और उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
स्वास्थ्य मंत्री ने हंस फाउंडेशन, जो एक सार्वजनिक चैरिटेबल ट्रस्ट है और जो जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए समर्पित है, की पंजाब में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य सरकार पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के बजाय पब्लिक-एनजीओ पार्टनरशिप को प्राथमिकता दे रही है, क्योंकि यह मॉडल जनता के लिए अधिक लाभकारी है।
डॉ. बलबीर सिंह ने आगे बताया कि पंजाब के प्राइमरी केयर मॉडल और फरिश्ते स्कीम, जो कि दवाइयों की अंतिम मील तक डिलीवरी सुनिश्चित करती है, की हाल ही में नैरोबी, कीनिया में एक संगोष्ठी में वैश्विक स्तर पर अपनाए जाने वाले मॉडल के रूप में सराहना की गई थी।
उन्होंने पंजाब के सभी जिला अस्पतालों को आपातकालीन सेवाएं, एन.आई.सी.यू. और आई.सी.यू. सुविधाओं से लैस करने की योजनाओं की भी घोषणा की। उन्होंने गैर-सरकारी संगठनों से अपील की कि वे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा दोनों क्षेत्रों में पंजाब सरकार के साथ सहयोग करें।
यह उल्लेखनीय है कि बुधवार को 30 नई डायलिसिस मशीनों का उद्घाटन किया गया, जिनमें से छह एम.के.एच. पटियाला में और शेष अस्पतालों में 3-3 मशीनें स्थापित की गईं, जिनमें से 1-1 मशीन विशेष रूप से एचआईवी पॉजिटिव मरीजों के लिए आरक्षित है। वर्तमान समय में, राज्य में 41 उप-मंडल अस्पताल और 23 जिला अस्पताल हैं, जिनमें से 39 में डायलिसिस सुविधाएं उपलब्ध हैं। राज्य सरकार ने आने वाले समय में इस संख्या को बढ़ाकर 64 करने का लक्ष्य रखा है।
More Stories
डिप्टी कमिश्नर द्वारा आवास योजना के तहत लाभार्थीयों को स्वीकृति पत्र जारी
मुख्यमंत्री ने वर्धमान स्टील ग्रुप को 1750 करोड़ रुपए की लागत से प्लांट स्थापित करने के लिए पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया
ग्वालियर में अत्याधुनिक संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र के साथ भारत की पहली आधुनिक, आत्मनिर्भर गौशाला