November 22, 2024

Jalandhar Breeze

Hindi Newspaper

सीएसआईआर – केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ), चण्डीगढ़ द्वारा कोविड-19 का सामना करने हेतु सुरक्षात्मक आई-वीयर विकसित

Share news

जालंधर ब्रीज: 

सीएसआईआर – केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ), चण्डीगढ़ ने कोविड-19 महामारी के चलते वायरस से अधिक प्रभावित रोगियों का उपचार करने वाले स्वास्थ्य-देखभाल प्राफ़ैशनल्स हेतु सुरक्षा ऐनकों के परिशुद्ध निर्माण के लिए एक प्रौद्योगिकी विकसित की है। वर्तमान स्थिति ने स्वास्थ्य-देखभाल सेवा प्रदाताओं, रोगियों व मुलाकातियों को अचानक संक्रमित होने से बचाव हेतु प्रभावशाली ‘परसनल प्रौटैक्टिव इक्विपमैन्ट’ (पीपीई – निजी सुरक्षात्मक उपकरण) की आवश्यकता व महत्त्व को प्रकट किया है। नेत्र-गोलकों को चिकना रखने हेतु आंखों की पुतलियों के भीतर स्थित कन्जक्टिवा झिल्ली शरीर की एकमात्र ऐसी म्युक्स झिल्ली है, शरीर के बाहर दिखाई देती है। जब आंखें खुली होती हैं, तो कंजक्टिवा झिल्ली पर बाहरी वातावरण का प्रभाव पड़ता है, अतः यह अंग अत्यंत महत्त्वपूर्ण बन जाता है परन्तु इसकी प्रायः उपेक्षा कर दी जाती है, जबकि यहां से वायरस शरीर के अन्दर प्रविष्ट हो सकते हैं।

विकसित सुरक्षात्मक आई-वीयर (ऐनक) को अत्यंत परिश्रम व दक्षतापूर्वक डिज़ाईन किया गया है, जिसके द्वारा आंख का क्षेत्र पूर्णतया ढंक जाता है तथा उसकी कार्यकुशल सीलिंग हो जाती है तथा यह स्वास्थ्य-देखभाल प्रोफ़ैशनल्स को ख़तरनाक एयरोसोल्स व निकसित होने वाले अन्य कणों से सुरक्षित रखेगी। इस सुरक्षा ऐनक को लचकदार फ्ऱेम से डिज़ाईन किया गया है, ताकि यह चिहरे की त्वचा से पूर्णतया फ़िट सीलिंग प्रदान कर सके व यह आंखों के साथ-साथ आस-पास के स्थान को भी ढंकेगी तथा इस में चिकित्सकों द्वारा अनुशंसित शीशे/लैन्स भी फ़िट हो सकेंगे।

डॉ. विनोद करार, मुख्य वैज्ञानिक व मुख्य, ऑप्टीकल डिवाईसज़ एण्ड सिस्टम्स के नेतृत्त्व में सीएसआईआर-सीएसआईओ (CSIR-CSIO) के वैज्ञानिकों की टीम ने विभिन्न उद्योगों व संबंधित पक्षों के साथ परामर्श करके इस सुरक्षा ऐनक को एक सुरक्षात्मक आई-वीयर के तौर पर डिज़ाईन व विकसित किया है; जिसके द्वारा वाणिज्यक उत्पादन हेतु एक सस्ती व खोजात्मक परिशुद्ध निर्माण तकनीक सामने आई है। इस परियोजना से जुड़े सीएसआईआर-सीएसआईओ (CSIR-CSIO) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नेहा खत्री ने बताया,‘यह ऐनकें ऑप्टीकल ट्रांसमिटैंस में से देखने के मामले में ANSI/SEA Z87.1-2010 मानदण्ड के अनुरूप हैं तथा इनका उपयोग विभिन्न वातावरणक परिस्थितियों में किया जा सकता है तथा इनमें न तो धुन्द जमती है तथा न ही इस ऐनक से थकावट होती है।’ इस टीम के सदस्यों में डॉ. संजीव सोनी, डॉ. अमित एल. शर्मा, डॉ. मुकेश कुमार व श्री विनोद मिश्रा सम्मिलित हैं।यह प्रोद्यौगिकी 26 जून, 2020 को इसके वाणिज्यकरण व बड़े स्तर पर उत्पादन हेतु मैस. सार्क इन्डस्ट्रीज़ को हस्तांरित की गई थी।


Share news