जालंधर ब्रीज: कोरोना महामारी ने जहाँ विश्व के विकसित देशो को हिला के रख दिया वहीँ भारत की अर्थव्यवस्था को हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया। इस बीमारी के कारण हर कारोबारी वर्ग इस से प्रभावित हुआ और आज भी जूझ रहा है जिसके लिए प्रधानमंत्री ने राहत पैकेज का एलान भी किया परन्तु देश का तीसरा स्तंभ माने जाने वाले न्यायतंत्र के हिस्सेदार वकील भाईचारे को गहरी चोट देने का काम किया।
इस राहत पैकेज में अपनी स्व जीविका खुद कमाने वाले वकील भाईचारे के लिए कोई एलान नहीं किया गया और इनकी खुद की संस्था बार कौंसिल के कुछ मेम्बरो द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वकील भाइयों को कोई राहत ना परधान करने के आरोप लगाए। उल्टा जिस प्रकार से राजनीतिक पार्टियों द्वारा इस कोरोना महामारी का राजनीतिक लाभ लिया जा रहा है उसमे पंजाब एंड हरियाणा बार कौंसिल पर भी सवाल खड़े किये जा रहे हैं ।
जहाँ इस संस्था का काम वकीलों के सारक्षक के रूप में होना चाहिए परन्तु इस मुश्किल घडी में ऑनलाइन चुनाव की और ज्यादा तवज्जो देकर चुनावी प्रकिरीया पर संदेह का काम कर रही है इसका विरोध पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की चुनाव समिति द्वारा संकल्प पत्र जारी करके और बार कौंसिल के ही कुछ मेम्बरो द्वारा वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से विरोध दर्ज करवाया गया है ।
उनका कहना है की वो चुनाव का विरोध नहीं कर रहे जिस संकट की घड़ी में हमें पहले उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों को फिजिकल रूप से सुचारु करवाने के लिए प्रयतनशील होना चाहिए उसके बाद हमें चुनाव के बारे में सोचना चाहिए जहाँ इस न्यायपालिका के बंद होने से वकील भाईचारे को हिला के रख दिया है और वहीँ आम इंसान जो पहले से ही राजनीतिक और भ्रष्ट अफसरों से पीड़ित था उसको तीसरे स्तंभ से ही राहत की आस बची है वो भी पूरी तरह से अदालतों के खुलने का इंतज़ार कर रहा है।
इस चुनाव का विरोध पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के चुनाव समिति के चेयरमैन के एस सिद्धू सीनियर वकील द्वारा और बार कौंसिल के मेंबर रजत गौतम, हरगोबिंदर गिल और चेतन वर्मा द्वारा वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से किया गया।
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