April 24, 2025

Jalandhar Breeze

Hindi Newspaper

कैबिनेट मंत्री चन्नी द्वारा राज्य में पंजाबी को लाजि़मी बनाने के लिए विधानसभा में पेश प्रस्ताव

Share news

जालंधर ब्रीज:पंजाब के तकनीकी शिक्षा और औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री, पर्यटन एवं सांस्कृतिक मामले और रोजग़ार सृजन मंत्री सरदार चरनजीत सिंह चन्नी ने आज पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया कि राज्य सरकार के सभी संस्थाओं में पंजाबी में काम करने को लाजि़मी बनाया जाये और अदालतों का काम-काज भी पंजाबी में यकीनी बनाया जाये। इसके साथ ही उन्होंने प्रस्ताव पेश किया कि सभी सरकारी और ग़ैर-सरकारी शैक्षिक संस्थाओं में पंजाबी भाषा को दसवीं कक्षा तक ज़रूरी विषय के तौर पर पढ़ाने के लिए ज़रूरी कदम उठाए जाएँ। इसके अलावा उन्होंने प्रस्ताव पेश किया कि राज्य सरकार किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा पंजाबी भाषा के प्रचार-प्रसार के विरुद्ध किये जाने वाले किसी भी तरह के कामों या कदमों को रोकने के लिए ज़रुरी कानून समेत योग्य प्रबंध किये जाएँ। यह प्रस्ताव विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हुआ है।

स. चन्नी द्वारा पेश किये प्रस्ताव में कहा गया है कि पंजाब की मातृ-भाषा पंजाबी को प्रफुल्लित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए हर सार्थक कदम का स्वागत करता है और लोग महत्ता की हर जगह और जानकारी के लिए लिखीं जाने वाली भाषाओं में से पंजाबी भाषा को पहला स्थान देने के लिए जारी की अधिसूचना के लिए राज्य सरकार की प्रशंसा करता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ग़ैर-सारकारी संस्थाओं में भी ऐसा करना लाजि़मी किया जाये।

इस मौके पर सदन में बोलते हुए स. चन्नी ने कहा कि 150 देशों में पंजाबी बोली जाती है और यू.एन.ओ. की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया भर की 7000 भाषाओं में से पंजाबी को 12वां स्थान प्राप्त है। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में अगले 50 सालों के दौरान 2000 भाषाओं का ख़त्म होने का अंदेशा ज़ाहिर किया गया है, जिनमें से पंजाबी भी एक है। उन्होंने इस बात पर गहरी चिंता भी ज़ाहिर की कि पंजाब के स्कूलों में पंजाबी बोलने वाले बच्चों को जुर्माना किया जाता है और दूसरी भाषाओं को पहल दी जाती है, जिसको रोकने की सख्त ज़रूरत है।

पंजाबी को पूरा मान-सत्कार दिए जाने और सख्ती से पंजाबी भाषा लागू करने के लिए एक अलग आयोग बनाया जाये जिससे पंजाबी में काम न करने वालों और विरुद्ध काम करने वालों के खि़लाफ़ सख्त कार्यवाही यकीनी बनाई जा सके। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य के सभी सरकारी संस्थाओं में अफसरों और बाकी मुलाजि़मों के लिए पंजाबी में काम करना लाजि़मी बनाया जाये।

स. चन्नी ने कहा कि जो अपनी मातृभाषा में शिक्षा दी जा सकती है या भाव प्रकट किया जा सकता है वह अन्य किसी भाषा में नहीं किया जा सकता। पंजाबी बोली और संस्कृति को जीवित रखने के लिए पंजाबी को संभालने और बाकी भाषाओं की अपेक्षा आगे लेकर जाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि इस मंतव्य के लिए उनकी तरफ से तकनीकी शिक्षा विभाग के अधीन चलाए जा रहे कोर्सों की किताबें पंजाबी में अनुवाद करवाने का फ़ैसला किया गया है। उन्होंने साथ ही उच्च शिक्षा और मैडीकल शिक्षा मंत्री को भी अपील की कि वह भी विद्यार्थियों की सुविधा के लिए पंजाबी में किताबों का अनुवाद करवाएं।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सामाजिक संस्थाओं, परिवार ख़ासकर माताएं पंजाबी बोली के विकास में अहम रोल अदा कर सकतीं हैं। घरों में पंजाबी को मान के साथ बोला और पढ़ा जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने राज्य की राजधानी चंडीगढ़ में पंजाबी को पहली भाषा का दर्जा दिलाने के लिए प्रयास किए जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में भी 10वीं तक पंजाबी की पढ़ाई सरकारी और ग़ैर-सरकारी स्कूलों में लाजि़मी की जानी चाहिए। इसके अलावा पड़ोसी राज्यों हरियाणा, हिमाचल और राजस्थान में पंजाबी को दूसरी भाषा का दर्जा दिलाने के लिए यत्न करने चाहिएं।

इस मौके पर स. चन्नी ने पंजाब विधानसभा की सारी कार्यवाही पंजाबी में यकीनी बनाने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया और कहा कि विधानसभा के सभी नियम पंजाबी में होने चाहिएं। 

स. चन्नी ने सदन को बताया कि पंजाब सरकार ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को समर्पित सप्ताह भर 14 फरवरी से 21 फरवरी तक विभिन्न स्थानों पर प्रोग्राम करवाए, जिसके अंतर्गत राज्य भर में सैमीनार, लोक गीत, कवि दरबार, लोक नाचों आदि के प्रोग्राम करवाए गए और पंजाबी बोली के लिए अहम योगदान डालने वाली मशहूर शख्सियतों का सम्मान भी किया गया। इस मौके पर उन्होंने ऐलान किया कि पंजाब सरकार पहला अंतरराष्ट्रीय फि़ल्म फेस्टिवल 17-18 मार्च, 2020 को करवाने जा रही है।


Share news