November 15, 2024

Jalandhar Breeze

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गेहूं के नाड़ को आग लगाए बिना अधिक मुनाफा व वातावरण की संभाल कर रहा है गांव सैंचा का प्रगतिशील किसान रुपिंदर सिंह

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जालंधर ब्रीज: गेहूं के नाड़ व अवशेषों को न जला कर धान की सीधी बिजाई के माध्यम से होशियारपुर के गांव सैंचा का प्रगतिशील किसान रुपिंदर सिंह जहां वातावरण की संभाल कर रहा है, वहीं हर वर्ष धान की बिजाई पर पैसे व समय की बचत के माध्यम से दोहरा मुनाफा भी कमा रहा है। इसके साथ ही धान की सीधी बिजाई के माध्यम से रुपिंदर सिंह की ओर से पानी की बचत करने का उठाया कदम गिरते भू जल स्तर को रोकने में अहम कदम साबित हो रहा है।

डिप्टी कमिश्नर संदीप हंस ने इस प्रगतिशील किसान की प्रशंसा करते हुए कहा कि वातावरण की शुद्धता बरकरार रखने व पानी की बचत के लिए जिले के बाकी किसानों को भी धान की सीधी बिजाई करने की ओर से कदम बढ़ाना चाहिए, क्योंकि यह समय की मुख्य जरुरत है। उन्होंने कहा कि प्रगतिशील किसान रुपिंदर सिंह की ओर से गेहूं के अवशेषों को आग न लगाकर धान की सीधी बिजाई करना एक उल्लेखनीय कदम है व इस कदम से जहां वातावरण की रक्षी की जा रही है वहीं मुनाफा भी कमाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि धान की सीधी बिजाई के माध्यम से किसान रुपिंदर सिंह की तरह 25 से 30 प्रतिशत पानी की बचत की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इससे भू-जल के ोतों की संभाल होती है व फसल की लागत भी घटती है।

संदीप हंस ने कहा कि गेहूं के अवशेषों को आग लगाए बिना सीधी बिजाई करने के साथ जहां जमीन की उपजाई शक्ति बरकरार रखी जा सकती है व इसके साथ जमीन के नीचे मित्र कीड़ों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचता। उन्होंने बताया कि धान की सीधी बिजाई के लिए डी.एस.आर ड्रिल( धान की सीधी बिजाई करने वाली मशीन) का प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह आधुनिक तकनीक वाली मशीन कृषि विभाग के पास उपलब्ध है। इसके अलावा स्व सहायता ग्रुप व किसानों से किराए पर प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि डी.एस.आर ड्रिल किराए पर प्राप्त करने के लिए अपने नजदीकी कृषि कार्यालय के साथ संपर्क किया जा सकता है।

प्रगतिशील किसान रुपिंदर सिंह ने बताया कि वे पिछले 6 वर्षों से गेहूं के नाड़ को आग लगाए बिना कम खर्चे पर 5 एकड़ में धान की सीधी बिजाई कर रहा है। उन्होंने बताया कि धान की सीधी बिजाई के साथ 25 से 30 प्रतिशत पानी की बचत तो होती ही है, इसके साथ-साथ कद्दू व पनीरी की लगवाई पर जो खर्चा आता है, वह धान की सीधी बिजाई के कारण बचत खाते में जुड़ जाता है।

उन्होंने बताया कि करीब 3500 से 4000 प्रति एकड़ यह मुनाफा होता है व इसके अलावा लेबर की समस्या का भी सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने कहा कि उनकी ओर से गेहूं के नाड़ को आग नहीं लगाई जाती बल्कि वे कंबाइन से गेहूं की कटाई करने के बाद खड़ी गांठों में ही सीधी बिजाई कर देता है। उसके बाद कटर से ही नाड़ को खेत में बिखेर दिया जाता है व इस विधि के साथ धान के बीज को उगने में कोई दिक्कत नहीं आती, बल्कि नाड़ खेत में अच्छे मल्च का काम करता है। इस प्रगतिशील किसान का कहना है कि इस प्रयास से जमीन की उपजाऊ शक्ति बढऩे के अलावा लेबर व समय की बचत भी होती है।


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