जालंधर ब्रीज: बसंत पंचमी के त्योहार के मौके पर लोगों की तरफ से ज़्यादा पतंग उड़ाने का गंभीर नोटिस लेते हुये मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की तरफ से सिंथेटिक या कोई अन्य सामग्री से बनी चाइना डोर जोकि पतंग उड़ाने के उद्देश्य के लिए बेची और इस्तेमाल की जाती है, की बिक्री, भंडारण और खरीद पर सख़्ती से पाबंदी लगाने और इसको तुरंत ज़ब्त करने के हुक्म जारी किये गए हैं। ऐसी सामग्री से बनी डोर न सिर्फ़ मानवीय जीवन के लिए, बल्कि पक्षियों के लिए भी ख़तरनाक है। इसके इलावा डीजीपी को निर्देश दिए गए हैं कि वह सभी एसएचओज़ को तुरंत अपने अधिकार क्षेत्र में छापेमारी करने के निर्देश जारी करें।
इस सम्बन्धी जानकारी देते हुये वातावरण मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने बताया कि उपरोक्त हुक्म माननीय पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के सी. डब्ल्यू. पी. नम्बर 487 आफ 2015 (ओ. एंड. एम.) तारीख़ 20 जनवरी, 2015 के हुक्मों अनुसार दिए गए हैं। उन्होंने राज्य के सभी डिप्टी कमिशनरों को चाइना डोर के खतरे के बारे आम लोगों को जानकारी देने के निर्देश दिए जिससे वह अपने बच्चों को पतंग उड़ाने के लिए इस किस्म की डोरी का प्रयोग न करने के बारे जागरूक कर सकें क्योंकि चाइना डोर बिजली की कंडक्टर है और इससे मानव जीवन, ख़ास तौर पर पक्षियों के जीवन के लिए ख़तरा पैदा होता है।
इसके इलावा, विज्ञान, प्रौद्यौगिकी और वातावरण विभाग, सरकार पंजाब के नोटिफिकेशन नं. 10/ 133/2016-एसटीई (5)/173002 तारीख़ 23. 02. 2018 के हुक्मों के अंतर्गत नायलॉन, प्लास्टिक या किसी भी चीज़ से बने पतंग उड़ाने वाले धागे या किसी अन्य सिंथेटिक सामग्री जिसको पंजाब में “चीनी डोर/माँझा” के तौर पर जाना जाता है और जो ग़ैर-बायोडिग्रेबल है, के निर्माण, बिक्री, भंडारण, खरीद, सप्लाई, आयात और प्रयोग पर पूर्ण पाबंदी लगाई गई है।
वातावरण मंत्री ने कहा कि पंजाब के सभी कार्यकारी मैजिस्ट्रेट, वन्य जीव और वन विभाग के इंस्पेक्टर के रैंक के अधिकारी, पंजाब पुलिस के सब-इंस्पेक्टर और इससे ऊपर के रैंक के अधिकारी, राज्य की म्युंसपल इकाईयों के दर्जा तीन और इससे ऊपर के अधिकारी और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के सहायक वातावरण इंजीनियर और इससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों को उपरोक्त निर्देशों के लागू करने को यकीनी बनाने के लिए अधिकृत किया गया है।
मीत हेयर ने आगे कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 2016 के ओ. ए. नम्बर 384 और 2016 के ओ. ए. नम्बर 442 के अंतर्गत 11 जुलाई, 2017 को जारी निर्देशों के द्वारा राज्य सरकारों को वातावरण ( सुरक्षा) एक्ट, 1986; जानवरों के प्रति बेरहमी के रोकथाम एक्ट, 1960; वन्य जीव (सुरक्षा) एक्ट, 1972, भारतीय दंड संहिता या किसी अन्य कानूनी व्यवस्था के अंतर्गत किसी भी उल्लंघन के खि़लाफ़ उचित कदम उठाने के लिए कहा गया है।
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