जालंधर ब्रीज: संविधान गतिहीन नहीं है, बल्कि भारत के कुछ बेहतरीन और संवेदनशील विभूतियों द्वारा दिए गए आकार का एक जीवंत दस्तावेज़ है। ये कहना है भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अपर महानिदेशक (उत्तर क्षेत्र), श्रीमती देवप्रीत सिंह का। उन्होंने पत्र सूचना कार्यालय और रीजनल आउटरीच ब्यूरो (आरओबी), चंडीगढ़ द्वारा आज आयोजित “संविधान दिवस: न्यू इंडिया के लिए भारतीय संविधान का महत्व” नामक एक वेबिनार के दौरान यह बात कही।
अमृतसर स्थित गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख डॉ सतनाम सिंह, ने भारत के संदर्भ में समाज के लिए संविधान की प्रासंगिकता पर चर्चा की। उन्होंने आगे कहा कि संविधान समाज में स्थिरता प्रदान करने वाले सभी नियमों / कानूनों का एक स्रोत है।पटियाला स्थित पंजाबी विश्वविद्यालय में कानून विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मोनिका आहूजा ने कहा कि संविधान, सरकार के सिद्धांतों के लिए ढांचा प्रदान करने वाला देश का बुनियादी कानून है। मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों के महत्व को समझाते हुए, डॉ आहूजा ने कहा कि जिस तरह हमारा संविधान हमें कुछ अधिकार देता है, उसी तरह देश के प्रत्येक नागरिक के लिए कर्तव्यों का भी उल्लेख करता है।
श्री हिमांशु पाठक, सहायक निदेशक, पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी), चंडीगढ़, ने वेबिनार का संचालन किया और चंडीगढ़ क्षेत्र के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने इस वेबिनार में भाग लिया। श्री अनुज चांडक, उप निदेशक, आरओबी, चंडीगढ़ ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत कर सत्र का समापन किया।
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