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सेना वैश्विक विशेषज्ञों ने उपमहाद्वीप संबंधों में अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप पर चर्चा की
जालंधर ब्रीज: पश्चिमी कमान सेना मुख्यालय ने अग्रणी स्वतंत्र रणनीतिक मामलों के थिंक टैंक “सिनर्जिया फाउंडेशन” के सहयोग से कल चंडीमंदिर सैन्य स्टेशन में “भारत-पाक संबंधों में वैश्विक और क्षेत्रीय शक्तियों की भूमिका: रणनीतिक परिप्रेक्ष्य और भू-राजनीतिक निहितार्थ” पर संगोष्ठी का सफल आयोजन किया। संगोष्ठी का उद्देश्य उपमहाद्वीप संबंधों में अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी की गतिशील गहनता और उनके प्रभावों पर चर्चा करना था।
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वैश्विक भागीदारी ने चर्चाओं में गहराई और विविधता ला दी, जिससे जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य की व्यापकता देखने को मिली। इस कार्यक्रम में पूर्व राजनयिकों, विद्वानों सहित विशेषज्ञों का एक प्रतिष्ठित पैनल शामिल हुआ । दुनिया भर से वरिष्ठ अनुभवी अधिकारी और नीति निर्माता शामिल हुए। विशेष रूप से, संगोष्ठी में रूस से डॉ. वसीली काशिन, संयुक्त राष्ट्र से श्री टिम विलसी-विल्सी, श्रीलंका से एडमिरल जयंत, सऊदी अरब से राजदूत अहमद अलमानाईमुनी और इज़राइल से डॉ. डोरोन शालोम अविटल सहित अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ शामिल हुए, जिन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपने बहुमूल्य विचार साझा किए।
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संगोष्ठी में प्रतिष्ठित भारतीय विशेषज्ञ भी शामिल हुए, जिनमे से सिनर्जिया फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष श्री टोबी साइमन ने उद्घाटन भाषण दिया। पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल श्री एमके नारायणन ने मुख्य भाषण दिया। अन्य उल्लेखनीय वक्ताओं में राजदूत रंजन मथाई, पूर्व विदेश सचिव, राजदूत ए आर घनश्याम, पूर्व राजनयिक, लेफ्टिनेंट जनरल पी एस मिन्हास (सेवानिवृत्त), मेजर जनरल नीरज बाली, एसएम (सेवानिवृत्त), श्री राजीव जैन, पूर्व निदेशक, आईबी, प्रोफेसर वाराप्रसाद एस डोला, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और श्री तिलक देवाशर, सदस्य एनएसएबी और पूर्व विशेष सचिव कैबिनेट सचिवालय शामिल थे। चर्चाओं का संचालन लेफ्टिनेंट जनरल जीएवी रेड्डी (सेवानिवृत्त), पूर्व महानिदेशक, रक्षा खुफिया एजेंसी और एकीकृत रक्षा स्टाफ के उप प्रमुख (मुख्यालय आईडीएस) ने किया।
इस संगोष्ठी में पश्चिमी सीमाओं पर स्थित 63 से अधिक सैन्य स्टेशनों के अधिकारियों और चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय संबंध पाठ्यक्रम के छात्रों ने भी भाग लिया, जिन्होंने प्रश्नों और विचारों का दिलचस्प आदान-प्रदान किया।
इस संगोष्ठी का समापन पश्चिमी कमान के सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार, जीओसी-इन-सी के सम्बोधन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने एक राष्ट्र के रूप में रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने के लिए क्षमताओं को विकसित करने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने क्षेत्रीय संघर्षों और वैश्विक राजनीति के बीच गंभीर अंतर्सम्बन्ध की गहन समझ को बढ़ावा देने में इस संगोष्ठी को सफल बनाने के लिए उल्लेखनीय क्षेत्र विशेषज्ञों के प्रति आभार व्यक्त किया।
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