जालंधर ब्रीज: विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यू.एफ.पी.) ने पंजाब में गेहूँ के भंडारण हेतु अपनाई जा रही रख-रखाव सम्बन्धी तकनीकों की सराहना की है। इस साल फरवरी-मार्च में अफगानिस्तान में भेजे गये गेहूँ की ख़रीद, जांच और ढुलाई की प्रक्रिया को समझने के लिए अधिकारियों की एक टीम पंजाब भेजने का फ़ैसला भी किया गया है ताकि डब्ल्यू.एफ.पी. द्वारा भी इसी प्रकार की एसओपी को अपनाया जा सके।
इस संबंधी जानकारी साझा करते हुए खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों बारे मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने बताया कि पाँच सदस्यीय टीम जिसमें सैंड्रो बनाल, फिलिपो ज़ुनीनो, स्टैफनी हर्ड, अमित वढेरा और डॉ. श्रुति शामिल हैं, आज अमृतसर का दौरा करेगी ताकि इस बात का मुल्यांकन किया जा सके कि पंजाब में गेहूँ की गुणवत्ता को बरकरार रखते हुए कितने समय तक इसका भंडारण किया जाता है।
डब्ल्यू.एफ.पी. द्वारा दी गई इस मान्यता को गर्व की बात बताते हुए मंत्री ने कहा कि पंजाब देश का अन्नदाता है और अब पंजाब में पैदा होने वाला अनाज विदेशों में भी लोगों का पेट भर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि यह भी गर्व की बात है कि पश्चिमी देश अब अनाज के रख-रखाव संबंधी तकनीकों का अध्ययन करने के लिए भारत का रूख कर रहे हैं और यह इस दिशा में पंजाब सरकार द्वारा की गई प्रगति को दर्शाता है। उन्होंने टीम को पूरा सहयोग देने का भरोसा देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार और एफ.सी.आई. के वरिष्ठ अधिकारी टीम के साथ होंगे।
ज़िक्रयोग्य है कि 27 अप्रैल, 2022 को विदेश मंत्रालय द्वारा भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग को एक अलग पत्र में बताया गया था कि ”डब्ल्यू.एफ.पी. 10000 मीट्रिक टन गेहूँ की गुणवत्ता से बहुत संतुष्ट है जोकि भारत द्वारा अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के तौर पर प्रदान किया गया है।” यह गेहूँ पंजाब से पाकिस्तान के ज़मीनी मार्ग द्वारा अफगानिस्तान पहुंचाया गया था। ढुलाई किए गये गेहूँ को मैसर्ज एल.टी. फूड्ज़ लिमिटेड के साथ पीपीपी मोड द्वारा निर्मित मूले चक्क भगताना वाला, अमृतसर में 50,000 मीट्रिक टन क्षमता वाले पनग्रेन स्टील सिलोज़ में स्टोर किया गया था, जिसका डब्ल्यू.एफ.पी टीम द्वारा आज दौरा किया जायेगा।
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